भारतीय सिनेमा में हर कदम पर रंग-बिरंगे किरदारों और उनकी कहानियों का मेला छाया रहता है, लेकिन इस बार, ‘Pathan’ नामक फिल्म ने वादविवाद में अपनी जगह बना ली है। शाहरुख खान और दीपिका पादुकोण के साथ मुख्य भूमिका में, इस फिल्म के चारों ओर हो रहा है एक नया कलाकारी का आवरण। बसपा सांसद कुंवर दानिश अली के बयान से लेकर, फिल्म के गाने ‘बेशर्म रंग’ को लेकर चल रही खलबली ने इसे संसद तक पहुंचा दिया है। इस विवाद की गहराईयों में उतरते हैं हम…

दीपिका को अभिनेत्रियों का समर्थन

गाने ‘बेशर्म रंग’ में शामिल होने वाली Saba Khan, Swara Bhaskar, और Shivangi Joshi के समर्थन के बाद, भोजपुरी इंडस्ट्री की चर्चित अभिनेत्री Rani Chatterjee के बाद अब Namrata Malla ने भी अपनी बोल्ड टेक्निक के लिए चर्चा में रही हैं।

नम्रता मल्ला ने हाल ही में अपने इंस्टाग्राम पेज पर एक वीडियो साझा किया, जिसमें उन्होंने दीपिका पादुकोण के ‘बेशर्म रंग’ के गाने में दिखाई गई भगवा बिकिनी का खुद को अनुकरण किया। इसके परिणामस्वरूप, सोशल मीडिया पर एक नया हंगामा शुरू हुआ है।

लोगों का रिएक्शन

नम्रता के बोल्ड स्टैंड ने सोशल मीडिया पर विवाद उत्पन्न किया है। उनके इस वीडियो पर यूजर्स ने विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं, जिनमें समर्थन और विरोध दोनों के तरह के रिएक्शन्स शामिल हैं। उनके इस बोल्ड स्टैंड पर उठे सवालों ने इस मुद्दे को और भी रंगीन बना दिया है।यह विवाद ही नहीं, बल्कि ‘पथान’ फिल्म के आसपास की राजनीतिक चर्चाओं को भी और तेजी से बढ़ा दिया है। चर्चा में हो रही हर एक बात ने इसे नाटकीय तंत्र में बदल दिया है, जहां कला, साहित्य, राजनीति और समाजिक चर्चाएं मिली जुली हैं।इस पूरे मुद्दे के बारे में सोशल मीडिया पर बातचीत हो रही है और लोग अपने-अपने विचार बयां कर रहे हैं। यह विवाद केवल एक फिल्म से आगे बढ़कर समाज में संपर्क का एक सवाल भी उठा रहा है।

कला और राजनीति में तकरार

फिल्म इंडस्ट्री और राजनीति के बीच संबंध को लेकर यह विवाद दिखाता है कि कैसे कला और राजनीति का ताना एक दूसरे से जुड़े हैं और कैसे यह दोनों एक-दूसरे पर प्रभाव डाल सकते हैं। यह विवाद सिर्फ सामाजिक मीडिया पर ही नहीं, बल्कि संसद में भी चर्चा का विषय बन गया है, जहां राजनीतिक व्यक्तियों ने इसे समर्थन या निन्दा का कारण बनाया है। फिल्म ‘पथान’ के विवाद ने कला में सीमाएं कैसे आती हैं और राजनीति कैसे इस पर प्रभाव डालती है, यह एक महत्वपूर्ण प्रश्न उठाता है। फिल्म इंडस्ट्री और समाज के बीच हो रहे इस संवाद ने एक नए नज़रिये से देखने का अवसर दिया है। आखिरकार, फिल्म इंडस्ट्री और राजनीति के बीच हो रहे इस रंगीन विवाद ने साबित किया है कि कैसे रंगों की दुनिया में हर बात एक रंगीन तरीके से होती है, चाहे वह कला हो या राजनीति।